Friday, March 22, 2019

स्वास्थ्य और सोंदर्य

                                 स्वास्थ्य और सोंदर्य 

     

स्वास्थ्य अच्छा हो तो पुरुष हो या स्त्री सुन्दर लगते हैं जिनके शारीर का रक्त संचालन सही रहता है, मल निष्कासन बिल्कुल सही होता है, ऐसे व्यक्ति का जीवन ठीक रहता है | स्वास्थ्य से ही सोंदर्य प्राप्त होता है | जिसकी आँखें चमकीली हों गाल गुलाबी, छाती चौड़ी व कंधों की बनावट गोलाईदार हो, पतली कमर तथा नितम्बों का भरावपूर्ण एवं चाल में मस्ती हो, ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक एवं सोंदर्यपूर्ण होता है |

क्रीम, पाउडर, लिपिसस्टिक, चिपिस्तिक का प्रयोग करके स्त्रियाँ चेहरे को कुछ समय के लिए चमका सकती हैं, पर उसमें वास्तविकता नहीं होती | इसमें जरा सा भी संदेह नहीं की सच्चे सोंदर्य की प्राप्ति, अच्छे स्वास्थ्य से ही सम्भव है कौन स्त्री ऐसी है जो सुन्दरता नहीं चाहती | सोंदर्य प्राप्ति के लिए स्वास्थ्य को उत्तम प्रकार का बनाने की आवश्यकता को समझना अति आवश्यक है, उसके लिए व्यायाम की जरूरत को समझना चाहिए | व्यायाम में घंटों लगे रहने की जरूरत नहीं, केवल मात्र प्रतिदिन आधा घंटा कोई व्यायाम किया जाये तो शरीर में छरहरापन, स्फूर्ति एवं ताजगी बनी रहती है | शरीर में जीवनशक्ति  का संचार होता है |

स्वास्थ्य के लिए आजकल कई प्रकार के व्यायाम उपलब्ध हैं जैसे तेज चलना, दोड़ना, दण्डबैठक, योगासन, एरोबिक्स, तैरना इत्यादि | आजकल जिम में व्यायाम का प्रचलन भी बढ़ गया है | तेज गति से टहलना भी एक अच्छा व्यायाम है | हमें नित्य सुबह, सायं किसी वक्त एक डेढ़ घंटा तेजी से टहलना चाहिए, क्योंकि केवल कसरत से ही सम्पूर्ण सोंदर्य की प्राप्ति सम्भव प्रतीत नहीं होती |

एक मनोवैज्ञानिक का कहना है की ``नारी का स्वयं अपने प्रति जागरूक होना मानसिक स्वास्थ्य का द्योतक है |जिस नारी में यह गुण न हुआ, उसे नारी कहना ही गलत है |``  कामकाजी नारियों में अधिक सफल वे ही नारियां होती हैं जो अपने रूप के प्रति सजग होती हैं |प्रतिदिन व्यायाम के साथ साथ भोजन पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना आवश्यक है | आजकल हम कई प्रकार के पोषण रहित खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं जैसे बैरेड,बिस्कुट, पिज्जा पेस्ट्री समोसे पकोड़ी कचोडी इत्यादि | डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ जूस मुरबे इत्यदि हमारे स्वास्थ्य का सर्वनाश किये जा रहे हैं |

इन सभी व्यंजनों का उपभोग हमारे स्वास्थ्य का जितना बिगड़ हुआ है शायद ही किसी एन्य वस्तु ने किया होगा |हम इन्हें केवल जीभ के स्वाद वश ही खाते हैं | ये हमारे शरीर को स्थूल एवं निष्क्रिय बनाते हैं | इनके कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के विजातीय तत्वों का संग्रह होता रहता है | इन सभी पदार्थो का त्याग कर हमें पूर्णतया संतुलित एवं ताजा भोजन पक्का कर खाना चाहिए | हमारे भोजन में फल सब्जियां सलाद दूध घी एवं दालों का सम्पूर्ण समिश्रण होना आवश्यक है |    

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